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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ओंकार स्वरूप शिव की दिव्य स्थली

ओंकारेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक अत्यंत पवित्र स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह स्थान अद्वितीय है क्योंकि यहां भगवान शिव दो रूपों में पूजे जाते हैं – ओंकारेश्वर (ओंकार रूप) और ममलेश्वर (अमलेश्वर)। दोनों मंदिर नर्मदा नदी के दो किनारों पर स्थित हैं।

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‘ओंकारेश्वर’ नाम संस्कृत शब्द “ॐ” से लिया गया है, जिसे ब्रह्मांड का मूल ध्वनि और सृष्टि का बीज माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर ब्रह्मांड की उत्पत्ति का रहस्य बताया था।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ओंकार स्वरूप शिव की दिव्य स्थली

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर धार्मिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार विन्ध्याचल पर्वत ने घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे शक्ति प्राप्त की। शिवजी ने प्रसन्न होकर यहां प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित होने का वरदान दिया। इस प्रकार, ओंकारेश्वर को ‘विन्ध्य क्षेत्र का रक्षक’ कहा जाने लगा।

ओंकारेश्वर मंदिर की विशेषताएँ

ओंकारेश्वर मंदिर तक कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग:

रेल मार्ग:

सड़क मार्ग:

दर्शन और पूजा का समय

क्र. पूजा / दर्शन समय
1 मंदिर खुलने का समय प्रातः 5:00 बजे
2 भोग आरती दोपहर 12:00 बजे
3 संध्या आरती सायं 8:00 बजे
4 मंदिर बंद होने का समय रात्रि 9:30 बजे

विशेष पूजा: रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजा, महामृत्युंजय जाप आदि के लिए पहले से पंजीकरण अनिवार्य है।

संपर्क विवरण

यात्रा से जुड़ी सुविधाएं

आध्यात्मिक गतिविधियाँ

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: क्या ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दोनों में दर्शन करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, धार्मिक मान्यता है कि ओंकारेश्वर दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक ममलेश्वर में भी पूजा न की जाए।

प्रश्न 2: क्या ओंकारेश्वर में ऑनलाइन पूजा बुकिंग की सुविधा है?
उत्तर: जी हाँ, मंदिर की वेबसाइट या राज्य पर्यटन पोर्टल पर यह सुविधा उपलब्ध है।

प्रश्न 3: नर्मदा स्नान किस समय सबसे उत्तम माना जाता है?
उत्तर: सूर्योदय से पूर्व स्नान को सबसे पुण्यदायक माना जाता है, विशेषकर श्रावण मास और शिवरात्रि पर।

निष्कर्ष

ओंकारेश्वर मंदिर एक ऐसा स्थल है जहां श्रद्धा, अध्यात्म और प्रकृति एक साथ मिलते हैं। यह न केवल शिवभक्तों के लिए, बल्कि आत्मिक शांति की तलाश में लगे सभी यात्रियों के लिए विशेष स्थान है। ‘ॐ’ का दिव्य कंपन, नर्मदा की पावन धारा और शिवलिंग की अद्भुत ऊर्जा हर भक्त के हृदय को छू जाती है। यदि आप मध्य प्रदेश की धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो ओंकारेश्वर को अवश्य शामिल करें।

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