लतिका – एक कथा
रास्ते किनारे भीख माँगती इस बूढ़ी औरत की आँखों में कितनी कृतज्ञता और सम्मान है। हँसते हुए यह बुढ़िया याचना
रास्ते किनारे भीख माँगती इस बूढ़ी औरत की आँखों में कितनी कृतज्ञता और सम्मान है। हँसते हुए यह बुढ़िया याचना
अनवरत… अविराम वे सारी मजदूरिनें फिर से काम पर जुट पड़ी थीं। उनमें चार बच्चियाँ थीं – अपने उम्र से
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वह आदमी बात थोड़ी पुरानी है – फरवरी २०११ की। तब मैं वन उत्पादकता संस्थान में रिसर्च एसोसिएट था। हज़ारीबाग़